कोकिला व्रत की ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। यह दांपत्य जीवन को खुशहाल होने का वरदान प्रदान करता है। इस व्रत के द्वारा मन के अनुरूप शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शादी में आ रही किसी भी प्रकार की दिक्कत हो तो इस व्रत का पालन करने से विवाह सुख प्राप्त होता है। यह व्रत योग्य वर की प्राप्ति कराने में सहायक बनता है।
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आप चाहें तो निराहार रहकर इस व्रत को कर सकते हैं। अगर समर्थ नहीं हो तो आप एक समय फलाहार कर सकते हैं।
देवी सती को जब अपने पिता के इस कार्य का बोध होता है तो वह उस यज्ञ में जाने के लिए तैयार होती हैं भगवान शिव उन्हें इस बात की इजाज़त नहीं देते, पर देवी सती की जिद के आगे हार जाते हैं और उन्हें जाने देते हैं। सती यज्ञ पर जाकर जब अपने पति का स्थान नहीं पाती तो अपने पिता दक्ष से इस बारे में पूछती हैं लेकिन दक्ष अपनी पुत्री सती और शिव का अपमान करते हैं। शिव के प्रति अपमान के शब्दों को वह सहन नहीं कर पाती हैं और उस यज्ञ के हवन कुंड में अपनी देह का त्याग कर देती हैं।
भगवान शिव को जब सती के बारे में पता चलता है तो वह यज्ञ को नष्ट कर, दक्ष के अहंकार का नाश करते हैं। सती की जिद्द के कारण प्रजापति के यज्ञ में शामिल होने तथा उनकी आज्ञा न मानने के कारण वह देवी सती को भी श्राप देते हैं, कि हजारों सालों तक कोयल बनकर नंदन वन में घूमती रहें।
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सती शिव की बात से सहमत नहीं होती हैं और जिद्द करके here अपने पिता के यज्ञ में चली जाती हैं।
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भगवान शिव की पूजा के लिए सफेद, लाल फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूर्वा, दीपक, धूप और अष्टगंध का इस्तेमाल जरूर करें।
इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
ஶ்ரீ லம்போ³த³ர ஸ்தோத்ரம் (க்ரோதா⁴ஸுர க்ருதம்)